Sensex meaning in hindi:- Sensex बड़ा ही पॉपुलर स्टॉक मार्केट इंडेक्स है जिसके बारें में आज हम आपको डिटेल में बताने वाले है इस लेख के माध्यम से | इस लेख में हम जानेंगे सेंसेक्स मीनिंग इन हिंदी साथ ही सेंसेक्स क्या है कैसे काम करता है व इससे जुड़ी और भी जानकारी हम आपके साथ साझा करने वाले है तो लेख काफ़ी ज़्यादा informative होने वाला है लेख को अंत तक ज़रूर पढ़े |
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Sensex क्या है ? Sensex meaning in hindi
सेंसेक्स एक स्टॉक मार्केट इंडेक्स है जो इंडिया के सबसे बड़े 30 कंपनियों का परफॉर्मेंस ट्रैक करता है। इसका फुल फॉर्म सेंसिटिव इंडेक्स होता है और ये बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) द्वारा कैलकुलेट किया जाता है। सेंसेक्स की कंपनियों के चयन में रेवेन्यू, मार्केट कैपिटलाइज़ेशन, लिक्विडिटी और रिप्रेजेंटेशन फैक्टर जैसे पैरामीटर का इस्तेमाल किया जाता है।
सेंसेक्स की गणना में जो कंपनियां शामिल होती हैं वे भारत के कुछ बड़े उद्योगों से जुड़ी होती है जैसे बैंकिंग, फार्मा, आईटी, ऑटोमोबाइल, एफएमसीजी, आदि। सेंसेक्स की गणना किसी एक विशेष उद्योग के प्रदर्शन के ऊपर नहीं होता है ये समग्र शेयर बाजार का परफॉर्मेंस ट्रैक करता है।
सेंसेक्स की गति बहुत से कारकों के ऊपर निर्भर करती है जैसे कि कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन, आर्थिक संकेतक, वैश्विक बाजार की चाल, राजनीतिक परिदृश्य आदि। है तो ये बियरिश ट्रेंड का संकेत होता है। Sensex meaning in hindi
सेंसेक्स के प्रदर्शन का विश्लेषण एक महत्वपूर्ण टूल है निवेशक और ट्रेडर्स के लिए। अगर सेंसेक्स ऊपर जाता है तो ये पॉजिटिव सेंटिमेंट का सिग्नल देता है और निवेशकों को कॉन्फिडेंस देता है कि स्टॉक मार्केट में ग्रोथ है। इसके विपरीत अगर सेंसेक्स नीचे जाता है तो ये नकारात्मक भाव का संकेत देता है और निवेशक सतर्क हो जाते हैं।
आइये जानते है सेंसेक्स कैसे काम करता है -
Sensex kaise kaam karta hai | सेंसेक्स कैसे कैलकुलेट किया जाता है ?
सेंसेक्स भारतीय शेयर बाजार का एक मुख्य स्टॉक मार्केट इंडेक्स है। सेंसेक्स के द्वारा भारतीय शेयर बाजार का प्रदर्शन जाना जा सकता है। सेंसेक्स, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के शीर्ष 30 कंपनियों के शेयरों के औसत के आधार पर गणना करता है।
सेंसेक्स का कैलकुलेशन एक खास फॉर्मूले के आधार पर होता है, जिसमे हर एक कंपनी का वेटेज निर्धारित किया जाता है। वेटेज के निर्धारण के लिए, हर एक कंपनी के मार्केट कैपिटलाइजेशन (बाजार पूंजीकरण) का उपयोग किया जाता है। मार्केट कैपिटलाइजेशन का मतलब है कि एक कंपनी के शेयर्स के टोटल वैल्यू का कैलकुलेशन किया जाता है, जिसमे कंपनी के शेयर्स की कीमत को उसके कुल बकाया शेयरों की संख्या से गुणा किया जाता है।
सेंसेक्स के इंडेक्स की गणना के लिए, हर एक कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन टोटल मार्केट कैपिटलाइजेशन से डिवाइड किया जाता है। फिर इसको 100 से मल्टीप्लाई करके सेंसेक्स का वैल्यू कैलकुलेट किया जाता है।
सेंसेक्स के वैल्यू के बदलाव के आधार पर, शेयर बाजार के निवेशक और ट्रेडर्स के फैसले और सेंटिमेंट पर भी असर पड़ता है। अगर सेंसेक्स का वैल्यू ऊपर जाता है तो मार्केट में बुलिश सेंटीमेंट होती है, जहां निवेशक और ट्रेडर्स शेयर को खरीदने की प्रवृत्ति दिखाते हैं। जबकि अगर सेंसेक्स का वैल्यू नीचे जाता है, तो मार्केट में बियरिश सेंटीमेंट होती है, जहां इनवेस्टर्स और ट्रेडर्स के शेयर को बेचने की प्रवृत्ति दिखती है।
Sensex का इतिहास | सेंसेक्स कब और कैसे शुरू हुई ?
Sensex meaning in hindi का इतिहास बहुत अस्थिर और दिलचस्प रहा है। इसका शुरुआत 1 जनवरी 1986 को हुआ था, जब BSE के टॉप 100 कंपनियों के शेयर का परफॉर्मेंस ट्रैक करने के लिए "BSE-100" इंडेक्स क्रिएट किया गया था।
1987 में, BSE-100 को BSE के शीर्ष 30 कंपनियों के शेयरों के आधार पर गणना करने के लिए संशोधित किया गया और उसका नाम "सेंसेक्स" रखा गया। सेंसेक्स के शुरुआत के समय पर उसका आधार वर्ष 1978-79 था और उसका आधार मूल्य 100 था।
सेंसेक्स के इतिहास में बहुत से उतार-चढ़ाव देखे गए हैं। एक बड़ी घटना 1991 में हुआ जब भारत के इकनोमिक रिफॉर्म्स की शुरुआत हुई। इसके बाद सेंसेक्स में बड़ी वृद्धि देखी गई और 1992 में सेंसेक्स ने 4,000 अंक पार किया।
2000 तक, सेंसेक्स के प्रदर्शन में स्थिर वृद्धि देखी गई। 2000 के बाद, टेक्नोलॉजी बबल की वजह से सेंसेक्स में गिरावट देखी गई। 2003 में सेंसेक्स ने 3,000 अंक पार किया।
सेंसेक्स का सबसे महत्वपूर्ण विकास काल 2003 से 2008 तक था, जब सेंसेक्स ने 20,000 पॉइंट्स पार किया। 2008 में वैश्विक वित्तीय संकट के वजह से सेंसेक्स में बड़ी गिरावट देखी गई और 2009 में सेंसेक्स 8,000 पॉइंट्स तक गिर गया।
इसके बाद, सेंसेक्स की रिकवरी अवधि शुरू हुई और 2010 में सेंसेक्स ने 20,000 अंक के स्तर को वापस पार किया। 2015 में सेंसेक्स ने 30,000 अंक पार किया और 2021 में सेंसेक्स का रिकॉर्ड हाई 64,000 अंक के करीब था।
कुल मिलाकर, सेंसेक्स का इतिहास उतार-चढ़ाव से भरा रहा है और ये भारतीय शेयर बाजार के प्रदर्शन का मुख्य उपाय रहा है।
सेंसेक्स के प्रकार
सेंसेक्स के प्रकार निचे दिए गए हैं:
1. प्राइस रिटर्न सेंसेक्स (PRS): प्राइस रिटर्न सेंसेक्स (PRS) में सिर्फ स्टॉक की कीमतों में बदलाव का प्रदर्शन किया जाता है, यानि कि इसमें डिविडेंड और अन्य कंपनी के पेआउट का कोई हिस्सा नहीं है। इसके अलावा, PRS में ट्रेडिंग से जुडी कोई भी ट्रांजेक्शनल कॉस्ट भी शामिल नहीं है। PRS को कैलकुलेट करने के लिए, सेंसेक्स के 30 शेयरों के क्लोजिंग प्राइस का एवरेज लिया जाता है और इसे सेंसेक्स का प्रदर्शन निकाला जाता है।
2. टोटल रिटर्न सेंसेक्स (TRS): टोटल रिटर्न सेंसेक्स (TRS) में कंपनी के डिविडेंड और पेआउट का भी प्रदर्शन किया जाता है, इसलिए ये PRS से थोड़ा सा अलग होता है। इसमें, कंपनी के पेआउट को शामिल करके, सेंसेक्स का टोटल रिटर्न निकाला जाता है। TRS को कैलकुलेट करने के लिए, कंपनी के पेआउट और ट्रेडिंग के ट्रांजैक्शनल कॉस्ट को भी शामिल करके, सेंसेक्स का प्रदर्शन निकाला जाता है।
3. सेक्टोरल इंडिसेज: सेक्टोरल इंडिसेज में सेंसेक्स के अलग-अलग सेक्टर जैसे की बैंकिंग, आईटी, फार्मा, ऑटोमोबाइल, एनर्जी आदि का परफॉर्मेंस ट्रैक किया जाता है। सेक्टोरल इंडेक्स में भी PRS और TRS दोनों प्रकारों के इंडेक्स शामिल होते हैं।
4. फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस इंडेक्स: फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस इंडेक्स, या F&O इंडेक्स, सेंसेक्स के इक्विटी डेरिवेटिव्स मार्केट का भाव-प्रदर्शक इंडेक्स है। इसमें सेंसेक्स के फ्यूचर्स और ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स का प्रदर्शन किया जाता है। F&O इंडेक्स में, ऑप्शंस और फ्यूचर्स के प्रदर्शन को शामिल करके, सेंसेक्स का ओवरऑल परफॉर्मेंस रिफ्लेक्ट किया जाता है।
ये कुछ सेंसेक्स के प्रकार, जो कि भारतीय शेयर बाजार में बहुत महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, सेंसेक्स के अलग-अलग इंडेक्स का प्रदर्शन, भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रति आम जनता और निवेशकों के लिए एक बढ़िया प्रदर्शन होता है।
सेंसेक्स के फ़ायदे व नुकसान
सेंसेक्स के फ़ायदे व नुक्सान कुछ इस तरह है :
फ़ायदे:
I. निवेश के अवसर: सेंसेक्स, भारत का सबसे बड़ा स्टॉक मार्केट इंडेक्स है, इसके माध्यम से निवेशकों को अच्छे निवेश के अवसर मिलते हैं। ये उनके लिए एक विश्वसनीय निवेश का स्रोत हो सकता है।
II. आर्थिक संकेतक: सेंसेक्स एक आर्थिक संकेतक के रूप में भी काम करता है, ये बताता है कि अर्थव्यवस्था में क्या चल रहा है। अगर सेंसेक्स में ग्रोथ हो रही है तो ये बता रहा है कि इकोनॉमी में भी ग्रोथ है।
III. इंडस्ट्री ग्रोथ: सेंसेक्स की कंपनियों के स्टॉक प्राइस को देख आप इंडस्ट्री की ग्रोथ रेट को भी माप सकते हैं। आपके पास सेंसेक्स की जानकारी होना आपको एक विशेष उद्योग के विकास दर को समझने में मदद करता है।
नुक्सान:
I. मार्केट वोलैटिलिटी: सेंसेक्स एक वोलेटाइल इंडेक्स है, जो मार्केट के उतार-चढ़ाव के ऊपर निर्भर करता है। कोई भी बड़ा इवेंट सेंसेक्स में नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इसलिए, सेंसेक्स की हलचल की अस्थिरता निवेशकों के लिए एक चुनौती हो सकती है।
II. अल्पकालिक जोखिम: सेंसेक्स में अल्पकालिक निवेश करना जोखिम भरा हो सकता है। छोटी अवधि के निवेश में उतार-चढ़ाव ज्यादा होता है, जो कि निवेशकों के लिए नुकसान का कारण बन सकता है।
III. डायवर्सिफिकेशन का अभाव: सेंसेक्स के इंडेक्स में सिर्फ 30 कंपनियां होती हैं, जिस से पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन कम हो जाता है। पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन की कमी एक जोखिम है जो निवेशकों को अपने निवेश के लिए चिंतित कर सकता है।
ये कुछ सेंसेक्स के फायदे और नुक्सान हैं। सेंसेक्स में निवेश करने से पहले आपको विशेषज्ञ की सलाह ले लेना चाहिए।
सेंसेक्स में कहाँ निवेश करें ?
Sensex meaning in hindi एक शेयर मार्केट इंडेक्स है और इसमें निवेश करने का तारिका आपको अपने जोखिम सहनशीलता और निवेश उद्देश्यों के हिसाब से तय करना चाहिए। यहां कुछ तारिको को समझाया जा रहा है, जो आपको सेंसेक्स में निवेश करने में मदद कर सकते हैं:
1. म्यूचुअल फंड: सेंसेक्स के ऊपर म्यूचुअल फंड निवेश करने का एक अच्छा तरीका है। म्यूचुअल फंड एक ऐसा इन्वेस्टमेंट व्हीकल है, जिसमें एक फंड मैनेजर इन्वेस्टर के पैसे को अलग स्टॉक्स और सिक्योरिटीज में इनवेस्ट करता है। आप अपने रिस्क प्रोफाइल और फाइनेंशियल गोल्स के हिसाब से एक सही म्यूचुअल फंड सेलेक्ट कर सकते हैं।
2. एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETFs): ETFs भी सेंसेक्स में निवेश करने का एक अच्छा तरीका है। ETFs एक ऐसा निवेश उत्पाद है, जिसमें एक फंड मैनेजर सेंसेक्स के शीर्ष 30 स्टॉक को ट्रैक करने के लिए डिजाइन किया गया है। आप एक ब्रोकरेज अकाउंट खोले और ETFs के ज़रिये सेंसेक्स में निवेश कर सकते हैं।
3. डायरेक्ट इक्विटी निवेश: अगर आप अपने रिस्क टॉलरेंस और नॉलेज लेवल के हिसाब से डायरेक्ट इक्विटी इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं तो आप सेंसेक्स के टॉप 30 कंपनियों में भी सीधा निवेश कर सकते हैं। आपको एक डीमैट अकाउंट खोले लेना है और ब्रोकर के जरिए अपने पैसे को स्टॉक में निवेश करना है ।
4. सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP): SIP एक ऐसा तरीका है, जिसमें आप सेंसेक्स के टॉप स्टॉक्स में सिस्टेमैटिक तरीके से निवेश करते हैं। इसमें आप एक निश्चित राशि को हर महीने या हर तिमाही में निवेश करते हैं, इससे बाजार के वोलैटिलिटी से बचा जा सकता है।
इन तरीकों के अलावा भी बहुत से तरीके है, जैसे की इंडेक्स फ्यूचर्स और ऑप्शंस, जो सेंसेक्स के ऊपर ट्रेड किया जा सकता है। लेकिन ये तरीका बहुत जोखिम भरा होता है और इसके लिए आपको मार्केट के डायनामिक्स को समझना होगा। इसलिए, ये तरीका अनुभवी निवेशकों के लिए ही उपयुक्त है।
हर तरह के निवेश करने से पहले आपको अपने जोखिम सहिष्णुता और वित्तीय उद्देश्यों को ध्यान में रखना चाहिए। आपको निवेश करने से पहले अपने वित्तीय योजनाकार या निवेश सलाहकार से सलाह लेनी चाहिए।
सेंसेक्स में कैसे निवेश करें ?
सेंसेक्स एक भाव-प्रदर्शक इंडेक्स है। अगर आप सेंसेक्स में निवेश करना चाहते हैं, तो कुछ चीज़ों में ध्यान रखना होगा:
1. शेयर बाजार की समाज: पहले से शेयर बाजार की जानकारी होना जरूरी है। स्टॉक मार्केट के बारे में कुछ समझना है कि इसके नियम क्या हैं और कैसे काम करता है। इसके अलावा, शेयर बाजार में होने वाले नुक्सान को समझना भी जरूरी है।
2. निवेश की राशि: सेंसेक्स में निवेश करने के लिए आपको अपने पास पैसे की एक अच्छी राशि रखनी होगी। आपको कभी भी अपनी बचत के ज्यादा हिस्से को एक ही स्टॉक या सेक्टर में निवेश नहीं करना चाहिए। आपको अपने निवेश पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करना चाहिए, यानि कि अलग-अलग सेक्टर में निवेश करना चाहिए।
3. डीमैट खाता: आपको एक डीमैट खाता (शेयर ट्रेडिंग खाता) खोलना होगा। इस अकाउंट में आपके स्टॉक्स की जानकारी होगी और आप यहां से शेयर बाजार में ट्रेडिंग कर सकते हैं। आप अपने बैंक के थ्रू या फिर किसी भी ब्रोकरेज फर्म से अपना डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं।
4. फंडामेंटल एनालिसिस: सेंसेक्स में निवेश करने के लिए आपको फंडामेंटल एनालिसिस की जानकारी होनी चाहिए। आपको कंपनी के फाइनेंशियल्स को समझना होगा कि कंपनी कितनी प्रॉफिटेबल है और उसके फ्यूचर प्रॉस्पेक्ट्स क्या हैं। आपको कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट, बैलेंस शीट और प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट को भी पढ़ना होगा।
5. टेक्निकल एनालिसिस: आपको टेक्निकल एनालिसिस की भी जानकारी होनी चाहिए। टेक्निकल एनालिसिस में कंपनी के स्टॉक का प्राइस एक्शन, ट्रेडिंग वॉल्यूम और ट्रेंड को समझा जाता है।
6. एक्सपर्ट ओपिनियन: आपको मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकरेज फर्म्स की सिफारिशों को भी ध्यान में रखना चाहिए। आप उनकी रिपोर्ट और विश्लेषण को पढ़ सकते हैं और अपने निवेश के फैसलों के लिए उनकी राय ले सकते है |
7. निवेश की आयु निर्धारित करें: आपको अपने निवेश के लिए एक लंबी आयु (दीर्घकालिक) लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए। सेंसेक्स में निवेश करते समय, आपको शॉर्ट-टर्म वोलैटिलिटी के लिए तैयार रहना होगा और अपने पोर्टफोलियो को नियमित रूप से मॉनिटर करते रहना चाहिए।
इसके अलावा, बाजार के साथ जुड़ने के लिए एक सही मानसिकता भी होनी चाहिए। Sensex meaning in hindi में निवेश करने से पहले, आपको अपने रिस्क टॉलरेंस लेवल को जाना होगा। आपको अपने निवेश को डायवर्सिफाई करना चाहिए और रेगुलर मॉनिटरिंग के साथ अपने पोर्टफोलियो में बदलाव भी लाने चाहिए।
सेंसेक्स में कौन कौन सी कंपनी है ?
इसमें 30 मुखिया और प्रतिष्ठित भारतीय कंपनियां शामिल होते हैं। नीचे दिए गए हैं, सेंसेक्स के 30 कंपनियों के नाम (मई 2023 तक):
1. Reliance Industries Ltd.
2. HDFC Bank Ltd.
3. Tata Consultancy Services Ltd.
4. Housing Development Finance Corporation Ltd.
5. Infosys Ltd.
6. ICICI Bank Ltd.
7. Kotak Mahindra Bank Ltd.
8. Hindustan Unilever Ltd.
9. Bajaj Finance Ltd.
10. State Bank of India
11. Bharti Airtel Ltd.
12. Larsen & Toubro Ltd.
13. Asian Paints Ltd.
14. Maruti Suzuki India Ltd.
15. Axis Bank Ltd.
16. Mahindra & Mahindra Ltd.
17. Nestle India Ltd.
18. Titan Company Ltd.
19. Oil & Natural Gas Corporation Ltd.
20. NTPC Ltd.
21. ITC Ltd.
22. UltraTech Cement Ltd.
23. Tech Mahindra Ltd.
24. HCL Technologies Ltd.
25. SBI Life Insurance Company Ltd.
26. Power Grid Corporation of India Ltd.
27. Tata Steel Ltd.
28. Dr. Reddy's Laboratories Ltd.
29. Coal India Ltd.
30. Sun Pharmaceutical Industries Ltd.
ये कंपनियां अलग-अलग सेक्टर से संबंधित हैं और इनका प्रदर्शन, सेंसेक्स के ओवरआल परफॉरमेंस पर प्रभाव डालते हैं। सेंसेक्स, भारतीय शेयर बाजार का प्रमुख इंडेक्स है और इसका प्रदर्शन, भारतीय अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य का एक बड़ा प्रदर्शन है।
सेंसेक्स गिरने का कारण क्या है ?
Sensex meaning in hindi के गिरने के बहुत से कारण हो सकता है। कुछ सामान्य कारण नीचे दिए गए हैं:
1. वैश्विक आर्थिक कारक: सेंसेक्स को वैश्विक आर्थिक कारक, जैसे कि व्यापार युद्ध, तेल की कीमतें, मुद्रा में उतार-चढ़ाव, आदि से भी प्रभावित किया जा सकता है। अगर वैश्विक आर्थिक स्थितियां अच्छे नहीं हैं तो सेंसेक्स में गिरावट देखने को मिल सकती है।
2. कंपनी-विशिष्ट समाचार: किसी भी कंपनी से संबंधित नकारात्मक समाचार या घटना, जैसे की वित्तीय धोखाधड़ी, प्रबंधन परिवर्तन, कानूनी मुद्दे, उत्पाद वापस लेना आदि भी सेंसेक्स को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं। अगर मार्केट में किसी स्पेशल सेक्टर में नेगेटिव न्यूज आती है तो उस सेक्टर की कंपनियों के शेयरों की भी कीमत में गिरावट देखने को मिल सकता है।
3. ब्याज दर में बदलाव: सेंट्रल बैंकों की ब्याज दरों में बदलाव भी सेंसेक्स के उतार-चढ़ाव पर असर डालते हैं। अगर सेंट्रल बैंक ब्याज दर को बढ़ा देता है तो निवेश की लागत भी बढ़ जाती है, जिससे बाजार में सेल्लिंग प्रेशर देखने को मिल सकता है।
4. राजनीतिक कारक: राजनीतिक अस्थिरता, चुनाव, या नीतिगत निर्णय भी सेंसेक्स को प्रभावित कर सकते हैं। अगर किसी सरकार की आर्थिक नीति बाजार की उम्मीदों के खिलाफ है तो बाजार में नकारात्मक भावनाएं पैदा हो सकती हैं।
5. मार्केट सेंटिमेंट: मार्केट सेंटिमेंट भी सेंसेक्स के गिरने के कारण में से एक हो सकता है। अगर निवेशक और ट्रेडर्स का सेंटीमेंट नेगेटिव है, तो वो बेचने की प्रवृत्ति दिखाएंगे और इससे सेंसेक्स की कीमत में गिरावट देखने को मिल सकती है।
ये कुछ सामान्य कारण हैं, जिसके वजह से सेंसेक्स की कीमतों में गिरावट हो सकती है।
Sensex meaning in hindi video
Conclusion:- Sensex meaning in hindi
यह था हमारा लेख सेंसेक्स मीनिंग इन हिंदी (Sensex meaning in hindi) के ऊपर हमें आशा है की आपको इस लेख से कुछ सिखने मिला होगा | हमारा यही प्रयास होता है कि हम अपने ब्लॉग के माध्यम से अपने पाठकों के लिए शेयर मार्केट, फाइनेंस व पैसे कैसे कमाए से जुड़ी नई-नई जानकारी लाते रहे जिससे उनका नॉलेज इस फील्ड में बढ़े |
आप इस लेख को अपने दोस्तों व फॅमिली मेम्बर के साथ शेयर करके हमे अपना सपोर्ट दिखा सकते है | लेख में यहाँ तक बने रहने के लिए आपका धन्यवाद !
अन्य लेख:-
FAQ:
सेंसेक्स का मूवमेंट कैसे ट्रैक करें ?
सेंसेक्स का डेली मूवमेंट और हिस्टोरिकल डेटा ट्रैक करने के लिए बहुत से वेबसाइट्स और ऐप्स उपलब्ध हैं जैसे कि बीएसई इंडिया, मनीकंट्रोल, इकोनॉमिक टाइम्स आदि। इसके अलावा सेंसेक्स की मूवमेंट को ट्रैक करने के लिए अखबार और न्यूज चैनल भी उपयोगी हैं।
सेंसेक्स में कितनी कंपनी है ?
सेंसेक्स में कुल 30 कंपनिया शामिल है, जिनके परफॉरमेंस के हिसाब से सेंसेक्स मार्केट का हाल बताता है |
सेंसेक्स कितने बजे खुलता है ?
सेंसेक्स सुबह के 9:15 बजे खुलता है और शाम के 3:15 बजे बंद हो जाता है |