बैंक निफ़्टी क्या है और क्या है इसका इतिहास ? What is bank nifty in hindi

 ज़्यादातर लोगों को निफ़्टी 50 के बारें में पता होगा लेकिन क्या आप बैंक निफ़्टी के बारे में जानते है ? आज के इस लेख में हम बैंक निफ़्टी क्या है? (What is bank nifty in hindi) के बारे में डिटेल में जानने वाले है तो लेख को अंत तक ज़रूर पढ़ें |

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What is bank nifty in hindi | bank nifty kya hai ?

बैंक निफ्टी एक स्टॉक मार्केट इंडेक्स है जो नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (एनएसई) पर ट्रेड होता है। ये इंडेक्स बैंकिंग सेक्टर से जूडी 12 प्रमुख भारतीय पब्लिक सेक्टर के साथ-साथ प्राइवेट सेक्टर के बैंक को रिप्रेजेंट करता है।

What is bank nifty in hindi

बैंक निफ्टी का पूरा नाम "निफ्टी बैंक" है और इसमें शामिल बैंकों के स्टॉक्स के परफॉरमेंस को मापने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। ये इंडेक्स मार्केट कैपिटलाइजेशन वेटेड है, जिसका मतलब है कि इंडेक्स में शामिल बैंक्स के स्टॉक्स का वेट मार्केट कैपिटलाइजेशन (मार्केट वैल्यू ऑफ आउटस्टैंडिंग शेयर्स) के हिसाब से तय होता है। What is bank nifty in hindi ?

बैंक निफ्टी के स्टॉक मुख्य रूप से बैंकों से जुड़े क्षेत्रों में काम करते हैं जैसे कमर्शियल बैंकिंग, इन्वेस्टमेंट बैंकिंग, एसेट मैनेजमेंट, बीमा, ब्रोकरेज, और अन्य फाइनेंसियल सेवाएं। ये इंडेक्स मार्केट में बैंकिंग सेक्टर के ओवरऑल परफॉर्मेंस को ट्रैक करने के लिए प्रयोग होता है।

बैंक निफ्टी का मूवमेंट मार्केट ट्रेंड, इकॉनोमिक इंडिकेटर, इंटरेस्ट रेट, बैंकिंग नियम और अन्य कारक पर निर्भर करता है। इसके माध्यम से इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स बैंकिंग क्षेत्र के प्रदर्शन को एनालाइज कर सकते हैं और ट्रेडिंग निर्णय ले सकते हैं।

नोट: स्टॉक मार्केट निवेश में जोखिम शामिल है, और यह हमेशा सलाह दी जाती है कि कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले गहन शोध करें या किसी वित्तीय सलाहकार से सलाह लें।

बैंक निफ़्टी का इतिहास | Bank nifty ka itihas

बैंक निफ्टी का इतिहास 2000 के दशक में शुरू हुआ। ये इंडेक्स 12 प्रमुख बैंकों के शेयरों के प्रदर्शन को ट्रैक करने के लिए बनाया गया है। बैंक निफ्टी का बेस डेट 1 जनवरी 2000 है और उस दिन का बेस लेवल 1000 था।

बैंक निफ्टी के इतिहास में कुछ प्रमुख घटनाएं और माइलस्टोन हैं, जिनसे इंडेक्स में अस्थिरता और बदलाव देखा गया। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण घटनाएँ हैं:

1. 2008 ग्लोबल फाइनेंसियल क्राइसिस: 2008 में ग्लोबल फाइनेंसियल क्राइसिस (वैश्विक वित्तीय संकट) ने भारतीय बैंकिंग क्षेत्र पर भी असर डाला। बैंक निफ्टी में बहुत तेजी से गिरावट देखी गई, और इंडेक्स के स्तर कम हो गए।

2. 2014 आम चुनाव: 2014 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार की जीत के बाद बैंक शेयरों में उम्मीद और विश्वास बढ़ा। इससे बैंक निफ्टी में तेजी देखी गई।

3. नोटबंदी: 2016 में भारत सरकार ने नोटबंदी का फैसला लिया, जिसके बाद बैंक शेयरों में अस्थायी गिरावट हुई। लेकिन नोटबंदी के लॉन्ग टर्म फायदे के साथ, बैंक निफ्टी ने फिर से तेजी देखी।

4. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विलय (merger): 2019 में सरकार ने कुछ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय की घोषणा की। इससे बैंकिंग सेक्टर में एकीकरण हुआ और बैंक निफ्टी में बदलाव देखे गए।

बैंक निफ्टी के इतिहास में बाजार की स्थिति, इकॉनोमिक इंडिकेटर, बैंकिंग नियम, गवर्नमेंट पॉलिसीस, और ग्लोबल इवेंट्स के असर से इंडेक्स के स्तरों में उतार-चढ़ाव हो रहे हैं। 

बैंक निफ्टी के इतिहास में उतार-चढ़ाव और ट्रेंड को एनालाइज करके ट्रेडर्स और इनवेस्टर्स बैंकिंग सेक्टर के परफॉर्मेंस को समझ सकते हैं और ट्रेडिंग डिसीजन ले सकते हैं।

बैंक निफ़्टी कैसे समझें ?

बैंक निफ्टी को समझने के लिए, आप नीचे दिए गए पॉइंट्स पर ध्यान दे सकते हैं:

1. संघटक: बैंक निफ्टी 12 लीडिंग इंडियन पब्लिक सेक्टर और प्राइवेट सेक्टर बैंक्स को रिप्रेजेंट करता है। इन बैंक्स के स्टॉक्स का परफॉरमेंस बैंक निफ़्टी इंडेक्स में रिफ्लेक्ट होता है| इसलिए, ये इंडेक्स बैंकिंग सेक्टर के ओवरऑल परफॉर्मेंस को ट्रैक करने का एक इंडिकेटर है।

2. इंडेक्स कैलकुलेशन: बैंक निफ्टी एक मार्केट कैपिटलाइजेशन वेटेड इंडेक्स है। इसका मतलब है कि इंडेक्स में शामिल बैंक्स के स्टॉक्स का वेट उनकी मार्केट कैपिटलाइजेशन के हिसाब से तय होता है। ज्यादा बड़े बैंकों के स्टॉक का वेट इंडेक्स में ज्यादा होता है।

3. इंडेक्स मूवमेंट: बैंक निफ्टी का मूवमेंट विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है जैसे बैंकिंग सेक्टर की कमाई, ब्याज दर में बदलाव, रेगुलेटरी चेंजेस, मार्केट सेंटीमेंट्स, और ओवरआल इकॉनोमिक कंडीशन। पॉजिटिव न्यूज और ग्रोथ एक्सपेक्टेशंस से बैंक निफ्टी में बुलिश मूवमेंट देखा जाता है, जबकि नेगेटिव न्यूज और इकोनॉमिक चैलेंजेज से बेयरिश मूवमेंट देखा जाता है।

4. टेक्निकल एनालिसिस: बैंक निफ्टी का टेक्निकल एनालिसिस भी किया जा सकता है। टेक्निकल इंडिकेटर, चार्ट पैटर्न, और अन्य टेक्निकल टूल्स का प्रयोग करके ट्रेडर्स और निवेशक बैंक निफ्टी के शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म ट्रेंड्स, सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल, और पोटेंशियल एंट्री और एग्जिट पॉइंट्स को पहचान सकते हैं।

5. ट्रेडिंग इंस्ट्रूमेंट्स: बैंक निफ्टी पर फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस भी उपलब्ध होते हैं। ये डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट्स ट्रेडर्स और निवेशकों को बैंक निफ्टी के मूवमेंट पर अनुमान लगाने, रिस्क मैनेज करने और हेजिंग करने के लिए इस्तेमाल करते हैं।

6. न्यूज और मार्केट एनालिसिस: बैंकिंग सेक्टर से जुड़ी न्यूज और मार्केट एनालिसिस को रेगुलर बेसिस पर ट्रैक करना भी बैंक निफ्टी को समझने का एक तरीका है। आर्थिक समाचार, कॉर्पोरेट आय, बैंकिंग क्षेत्र में सुधार, और नीतिगत बदलाव के अपडेट से बैंक निफ्टी के मूवमेंट पर सीधा प्रभाव होता है।

बैंक निफ़्टी में ट्रेडिंग कैसे करते है ?

बैंक निफ्टी में ट्रेडिंग करने के लिए, आपको नीचे दिए गए स्टेप्स फॉलो करने होंगे:

1. डीमैट और ट्रेडिंग एकाउंट: पहले आपको एक डीमैट एकाउंट और ट्रेडिंग एकाउंट खोलना होगा। आप किसी प्रतिष्ठित ब्रोकरेज फर्म से या ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म से डीमैट और ट्रेडिंग एकाउंट खुलवा सकते हैं। इसमें आपको अपने पर्सनल डिटेल और आवश्यक दस्तावेज जमा करना होगा।

2. रिसर्च एंड एनालिसिस: बैंक निफ्टी में ट्रेडिंग करने के लिए रिसर्च और एनालिसिस करना महात्वपूर्ण है। आपको मार्केट ट्रेंड, इकॉनोमिक इंडिकेटर, बैंकिंग सेक्टर न्यूज़, और टेक्निकल एनालिसिस के बारे में अध्ययन करना चाहिए। इससे आप बैंक निफ्टी के मूवमेंट को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं और ट्रेडिंग डिसीजन को सपोर्ट कर सकते हैं।

3. ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म: आपको अपने ब्रोकरेज फर्म या ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के जरिए बैंक निफ्टी की ट्रेडिंग करनी होगी। आपको ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर बैंक निफ्टी फ्यूचर्स और ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए ऑर्डर प्लेस करना होगा। ऑर्डर प्लेसमेंट के लिए आपको खरीदने/बेचने की कीमत, मात्रा, और ऑर्डर टाइप जैसे मार्केट ऑर्डर या लिमिट ऑर्डर सेलेक्ट करना होगा।

4. रिस्क मैनेजमेंट: ट्रेडिंग के समय रिस्क मैनेजमेंट का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। स्टॉप-लॉस ऑर्डर का प्रयोग करके आप अपनी ट्रेडिंग पोजिशन को प्रोटेक्ट कर सकते हैं। स्टॉप-लॉस ऑर्डर आपके पूर्वनिर्धारित प्राइस लेवल पर अपने आप एक्सीक्यूट हो जाते है और आपको संभावित नुकसान से बचाते हैं।

5. मॉनिटरिंग और एग्जिट स्ट्रैटेजी: बैंक निफ्टी के ट्रेडिंग में एक्टिव मॉनिटरिंग जरूरी है। आपको मार्केट की मूवमेंट, न्यूज, और इंडिकेटर्स का ध्यान रखना होगा। 

अपने ट्रेडिंग प्लान के हिसाब से एग्जिट स्ट्रैटेजी तय करें, जैसे प्रिडिफाइंड प्रॉफिट टारगेट या स्टॉप-लॉस लेवल। आप ट्रेडिंग पोजिशन को मैन्युअल रूप से एग्जिट कर सकते हैं या ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस का प्रयोग कर सकते हैं।

6. रिस्क मैनेजमेंट: ट्रेडिंग में रिस्क मैनेजमेंट का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। अपने रिस्क टॉलरेंस के हिसाब से पोजीशन साइज डिसाइड करें और अपने ट्रेडिंग कैपिटल का विवेकपूर्ण उपयोग करें। ओवरट्रेडिंग से बचें और भावनाओं पर नियंत्रण रखें।

बैंक निफ़्टी को क्यों बनाया गया ?

बैंक निफ्टी को बनाया गया है ताकि निवेशक और ट्रेडर्स बैंकिंग सेक्टर के प्रदर्शन को ट्रैक कर सकें और हम पर ट्रेडिंग डिसिशन ले सकें। इस इंडेक्स का मकसद है बैंकिंग सेक्टर की ओवरऑल हेल्थ, ट्रेंड और मूवमेंट को रिप्रेजेंट करना।

बैंकिंग क्षेत्र एक महत्वपूर्ण घटक है भारतीय अर्थव्यवस्था का, और उसका प्रदर्शन बाजार सहभागियों के लिए महत्त्वपूर्ण है। बैंक निफ्टी के माध्यम से, निवेशक और व्यापारी बैंकिंग क्षेत्र के प्रदर्शन और दृष्टिकोण को समझ सकते हैं।What is bank nifty in hindi ?

यहां कुछ मुख्य कारण है बैंक निफ्टी के बनाए जाने का:

1. सेक्टोरल रिप्रेजेंटेशन: बैंक निफ्टी बैंकिंग सेक्टर के लीडिंग बैंक को रिप्रेजेंट करता है। बैंकिंग क्षेत्र एक प्रमुख घटक है भारतीय शेयर बाजार का, और इसका प्रदर्शन अर्थव्यवस्था के हेल्थ और ग्रोथ के इंडिकेटर की तरह काम करता है। बैंक निफ्टी के जरिए, मार्केट पार्टिसिपेंट्स बैंकिंग सेक्टर के ओवरऑल परफॉर्मेंस को एनालाइज कर सकते हैं।

2. निवेश और व्यापार के अवसर: बैंक निफ्टी के माध्यम से, निवेशक और ट्रेडर्स बैंकिंग क्षेत्र पर केंद्रित निवेश और ट्रेडिंग पर रणनीतियां विकसित कर सकते हैं। इस इंडेक्स के फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स भी उपलब्ध होते हैं, जिन्हें ट्रेडर्स लीवरेज करके बैंकिंग सेक्टर के मूवमेंट्स का अनुमान लगाते हैं और ट्रेडिंग डिसीजन ले सकते हैं।

3. जोखिम प्रबंधन: बैंक निफ्टी फ्यूचर्स और ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स ट्रेडर्स को जोखिम प्रबंधन के लिए भी मदद करते हैं। बैंकिंग क्षेत्र की अस्थिरता, ब्याज दर में बदलाव, नीति में बदलाव, और अन्य कारकों से संबंधित जोखिमों को प्रबंधित करने के लिए व्यापारियों और निवेशकों को बैंक निफ्टी के डेरिवेटिव उपकरणों का उपयोग करते हैं।

4. बेंचमार्किंग: बैंक निफ्टी बैंकिंग सेक्टर के बेंचमार्क के रूप में काम करता है। इस इंडेक्स की परफॉर्मेंस को देख, इनवेस्टर्स और मार्केट पार्टिसिपेंट्स बैंकिंग सेक्टर के परफॉर्मेंस को दूसरे सेक्टर्स के साथ तुलना कर सकते हैं और रिलेटिव परफॉर्मेंस आइडेंटिफाई कर सकते हैं।

बैंक निफ्टी का बनाया जाना, बैंकिंग क्षेत्र के निवेशक, ट्रेडर, और बाजार सहभागियों को बैंकिंग क्षेत्र के मूवमेंट्स, ट्रेंड्स, और परफॉरमेंस को समझने और एनालाइज करने का एक मंच प्रदान करता है।

बैंक निफ़्टी में बैंकों को किस आधार पर शामिल किया जाता है ?

बैंक निफ्टी के बैंकों को शामिल करने के लिए, NSE (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया) एक स्पेसिफ़िक मेथडोलोजी और क्राइटेरिया का प्रयोग करती है। बैंक निफ्टी का सिलेक्शन क्राइटेरिया कुछ फैक्टर्स पर आधारित होता है, जैसे:

1. मार्केट कैपिटलाइजेशन: बैंक निफ्टी के कंपोनेंट्स के सिलेक्शन में मार्केट कैपिटलाइजेशन का महत्त्वपूर्ण रोल होता है। एनएसई द्वारा एक न्यूनतम मार्केट कैपिटलाइजेशन क्राइटेरिया सेट किया जाता है, जिसमें बैंक को सेलेक्ट किया जाता है जो स्पेसीफाईड मार्केट कैपिटलाइजेशन सीमा को पूरा करते हैं।

2. ट्रेडिंग वॉल्यूम: ट्रेडिंग वॉल्यूम या लिक्विडिटी भी एक इम्पोर्टेन्ट फैक्टर है कंपोनेंट्स को चुनने के लिए। बैंकों का ट्रेडिंग वॉल्यूम पर्याप्त होना चाहिए, ताकि उनके स्टॉक को लिक्विडिटी और एक्टिव ट्रेडिंग के अवसर प्राप्त हों सकें।

3. रिप्रजेंटेशन: बैंक निफ्टी के कंपोनेंट्स में बैंकिंग सेक्टर की डाइवर्स रिप्रजेंटेशन को ध्यान में रखा जाता है। पब्लिक सेक्टर बैंक्स और प्राइवेट सेक्टर बैंक्स दोनों शामिल होते हैं, ताकि बैंकिंग सेक्टर के ओवरआल परफॉरमेंस को सटीक रूप से रिफ्लेक्ट किया जा सके। 

ये क्राइटेरिया और फैक्टर्स NSE द्वारा बैंक निफ्टी के कंपोनेंट्स को सेलेक्ट करते समय कंसीडर किये जाते है। कंपोनेंट्स के सिलेक्शन में परिवर्तन भी होते रहते हैं जैसे बैंकों का समावेशन, बहिष्करण, और प्रतिस्थापन। 

बैंक निफ़्टी में कितने बैंक्स शामिल है ? Bank nifty me kitne banks hai 

बैंक निफ्टी में शुरुआत में 12 बैंक शामिल किये गए थे । ये बैंक पब्लिक सेक्टर और प्राइवेट सेक्टर के बैंक्स हैं। ये 12 बैंक हैं:

1. Axis Bank

2. Bandhan Bank

3. Bank of Baroda

4. Federal Bank

5. HDFC Bank

6. ICICI Bank

7. IDFC First Bank

8. IndusInd Bank

9. Kotak Mahindra Bank

10. Punjab National Bank

11. State Bank of India

12. RBL bank

याद रहे, सूचकांक के घटक में चेंजेस होते रहते हैं। बैंक्स के इन्क्लूशन, एक्सक्लूशन, या रिप्लेसमेंट हो सकते हैं, जिससे सूचकांक के घटकों में परिवर्तन आते रहते हैं। इसलिए, लेटेस्ट और अपडेटेड जानकारी के लिए आप एनएसई या कोई भी फाइनेंशियल डेटा प्रोवाइडर की वेबसाइट रेफर कर सकते हैं।

निफ़्टी और बैंक निफ़्टी में क्या अंतर है ?

निफ्टी और बैंक निफ्टी दोनो स्टॉक मार्केट इंडेक्स हैं जो नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (एनएसई) पर ट्रेड होते हैं। यहां, कुछ अंतर है:

1. संघटक: निफ्टी, जिसे निफ्टी 50 के नाम से भी जाना जाता है, 50 प्रमुख भारतीय कंपनियों को रिप्रेजेंट करता हैं, जो अलग-अलग सेक्टर से संबंधित हैं। ये कंपनियां लार्ज-कैप स्टॉक होते हैं। वहीं बैंक निफ्टी, भारत के टॉप 12 पब्लिक सेक्टर और प्राइवेट सेक्टर के बैंकों को रिप्रेजेंट करता हैं।

2. सेक्टोरल फोकस: निफ्टी ब्रॉडर मार्केट के परफॉर्मेंस को ट्रैक करता है, जबकि बैंक निफ्टी बैंकिंग सेक्टर के परफॉर्मेंस को ट्रैक करता है। निफ्टी में विभिन्न सेक्टर शामिल होते हैं जैसे फाइनेंस, आईटी, फार्मा, ऑटोमोबाइल, एनर्जी, कंज्यूमर गुड्स आदि। बैंक निफ्टी विशेष रूप से बैंकिंग सेक्टर से जुड़ी स्टॉक्स पर फोकस करता है।

3. वेटिंग मेथडोलॉजी: निफ्टी एक फ्री-फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन वेटेड इंडेक्स है, जहां स्टॉक्स का वेट मार्केट कैपिटलाइजेशन के हिसाब से तय होता है। 

यानी, कंपनियों के फ्रीली अवेलेबल शेयर्स का मार्केट वैल्यू तय करता है कि उसका कितना वेट इंडेक्स में होगा। बैंक निफ्टी भी मार्केट कैपिटलाइजेशन वेटेड इंडेक्स है, लेकिन इसमें बैंकों के स्टॉक्स का वेट मार्केट कैपिटलाइजेशन के हिसाब से कैलकुलेट होता है।

4. ट्रेडिंग और निवेश के अवसर: निफ्टी और बैंक निफ्टी दोनो इंडेक्स पर ट्रेडिंग और निवेश के अवसर उपलब्ध हैं। निफ्टी में विविध क्षेत्रों की कंपनियां होती हैं, जिससे निवेशक और ट्रेडर्स को व्यापक बाजार एक्सपोजर मिलता है। बैंक निफ्टी विशेष रूप से बैंकिंग क्षेत्र पर केंद्रित है, जिससे ट्रेडर्स और निवेशक बैंकिंग सेक्टर की मूवमेंट को एनालाइज कर सकते है | 

5. रिस्क प्रोफाइल: निफ्टी और बैंक निफ्टी दोनो सूचकांक मार्केट रिस्क से जुड़ी है। बैंकिंग क्षेत्र आम तौर पर ओवरआल मार्केट के मूवमेंट से प्रभावित होता है, इसलिए बैंक निफ्टी ज्यादा अस्थिरता दिखा सकता है। निफ्टी ब्रॉड मार्केट को रिप्रेजेंट करता है, इसकी वजह वोलैटिलिटी आमतौर पर बैंक निफ्टी से कम होता है।

इन सब अंतर के बावजूद, निफ्टी और बैंक निफ्टी दोनो सूचकांक मार्केट पार्टिसिपेंट्स के लिए महत्वपूर्ण टूल्स हैं, जो मार्केट ट्रेंड्स को एनालाइज करने, ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी डेवलप करने और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट में मदद करते हैं।

निष्कर्ष: What is bank nifty in hindi

What is bank nifty in hindi - बैंक निफ्टी की ट्रेडिंग से पहले पूरी तरह से रिसर्च करना, मार्केट नॉलेज बिल्ड करना, और ट्रेडिंग प्लान बनाकर उस पर अनुशासित तरीके से चलना जरूरी है। अगर आप बिगेनर हैं, तो एक अनुभवी वित्तीय सलाहकार की मदद लेना भी अच्छा रहेगा। शेयर बाजार में निवेश में जोखिम होता है, इसे हमेशा अपनी फाइनेंसियल सिचुएशन और जोखिम सहनशीलता के हिसाब से निवेश के फैसले लें।

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